मेरे प्रिय त्यौहार

 मेरे प्रिय त्यौहार


 हर देश की संस्कृति उनके त्योहांरोमे दिखती है l 

सभी त्यौहार जीवन में आनंद बिखरते है l त्योहरोंसे बच्चो से लेकर सभी ख़ुशी से झूल उठते है l इसीलिए हमारे भारत में त्यौहार सभी जगह मनाये जाते है l 

      ऐसे ही कुछ त्योहारोंकी जानकारी लेते है l 

      तीज–

यह महिलाओं का त्योहार है। श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को किशोरियाँ और नवविवाहिताएँ इसे विशेष उल्लास से मनाती हैं। इस त्योहार के उपलक्ष्य में सौभाग्यसूचक सामग्री का आदान–प्रदान होता है।


इस दिन कन्याएँ और नवविवाहिताएँ बाग–बगीचों में या घरों पर ही झूला झूलती हैं। नारी–हृदय की आकांक्षाओं और व्यथाओं को प्रतिध्वनित करने वाला यह त्योहार राजस्थान में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।


रक्षाबन्धन–

यह त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कहीं–कहीं पर ब्राह्मण अपने यजमानों की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं और बदले में दक्षिणा प्राप्त करते हैं। दूसरी ओर यह भाई और बहिन के स्नेहमय सम्बन्ध को राखी के धागे से दृढ़तर बनाने वाला त्योहार है। राजस्थानी इतिहास की कुछ गौरवमयी घटनाएँ भी इस त्योहार से जुड़ी हैं।

      गणेश चतुर्थी–

गणेश चतुर्थी, हिंदू धर्म में मनाया जानें वाला खास त्यौहार है। गणेश चतुर्थी  का त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त या सितंबर के महीनें में (हिंदी कैलेंडर के अनुसार भाद्र माह की चतुर्थी) मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरे 11 दिन का होता है। यह त्यौहार 11 दिनों तक चलने वाला सबसे लंबा त्यौहार है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लेकर आते हैं और 10 दिन तक उनकी पूजा करने के बाद 11वें दिन धूम-धाम से गणेश विसर्जन कर देते हैं।


गणेश चतुर्थी का त्यौहार देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जानें वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार चतुर्थी के दिन घर और मंदिर में गणेश मूर्ति स्थापना से शुरू होता है। लोग अपने घरों में गणेश जी मूर्ति बड़ी धूमधाम से ढोल-नगाड़े बजाकर लेकर आते हैं। गणेश चतुर्थी से कुछ दिनों पहले ही बाजारों में रोनक शुरू हो जाती और मिट्टी से बनीं गणेश जी की अलग अलग तरह की प्रतिमाएँ मिलती है। सभी लोग गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिन तक अपने घरों और मंदिरों में गणेश भगवान की पूजा और अराधना करते हैं, गीत गाते हैं, नाच गाना करते हैं, मंत्रोच्चारण करते हैं, आरती करते और गणेश जी को मोदक का प्रसाद चढ़ाते हैं।


जन्माष्टमी–

भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। इस दिन बहुत–से लोग व्रत रखते हैं, मन्दिरों व घरों में कृष्ण के जीवन से सम्बन्धित झाँकियाँ भी सजायी जाती हैं।

    दशहरा–

क्वार (आश्विन) मास के शुक्लपक्ष की दशमी को यह त्योहार मनाया जाता है। रामलीलाओं के प्रदर्शन तथा रावण–दहन के रूप में यह सारे भारत में मनाया जाता है।

      दीपावली–

दीपावली का त्योहार भी देशव्यापी त्योहार है । इस त्योहार के स्वागत में घरों एवं दुकानों की सफाई तथा लिपाई–पुताई की जाती है। यह त्योहार कई दिनों का संयुक्त पर्व है।


      धनतेरस को नये बर्तन या अन्य गृहोपयोगी वस्तुएँ खरीदने की प्रथा है। दीपावली पर व्यापारी वर्ग अपने बही–खातों का पूजन करता है। रात्रि को गणेश और लक्ष्मी जी का पूजन होता है। यह उल्लास और समृद्धि का त्योहार है।


होली–

होली का त्योहार सारे भारत में मनाया जाता है। फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंग की होली खेली जाती है। यह त्योहार सबको प्रिय मानकर गले लगाने का त्योहार है।

      अन्य धर्मावलम्बियों के त्योहार–

इन हिन्दू त्योहारों के अतिरिक्त अन्य धर्मावलम्बियों के त्योहार भी उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। मुसलमान बन्धु ईद, मुहर्रम आदि; ईसाई बन्धु क्रिसमस तथा सिख भाई वैशाखी आदि पर्यों को मनाते हैं। राजस्थानी लोग मक्त भाव से एक–दसरे के पर्वो और त्योहारों में भाग लेते हैं।

     मेले–

महावीर जी का मेला जैन धर्मावलम्बियों से सम्बद्ध है। यह मेला हिण्डौन में लगता है। इसके अतिरिक्त कोटा का दशहरा, कैला देवी का मेला, पुष्कर जी का मेला, गोगामेढ़ी का मेला, रानी सती का मेला, गणेश चतुर्थी का मेला तथा ख्वाजा का उर्स यहाँ के प्रसिद्ध मेले हैं।

      पर्व और मेले लोकमानस के उल्लास और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं। इन त्योहारों के माध्यम से परम्पराएँ और धर्म जुड़े हैं। वहीं ये पर्वोत्सव राजस्थान को शेष भारत के साथ सांस्कृतिक रूप से जोड़ने वाले भी हैं। अतः इन सभी पर्वोत्सवों को जन–जीवन के लिए अधिकाधिक उपयोगी बनाने का प्रयास होना चाहिए।


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