प्रदूषण एक समस्या है

 प्रदूषण एक समस्या है

प्रदूषण एक समस्या है

प्रदूषण आज पृथ्वी के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। प्रदूषण का अर्थ है प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ना। सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा न मिलना, पीने के लिए स्वच्छ पानी न मिलना, स्वच्छ भोजन न मिलना और शांतिपूर्ण वातावरण न मिलना। सभी जानते हैं कि प्रदूषण मानव जाति के लिए कितना हानिकारक है। लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक ही सीमित है। वास्तविक जीवन में मनुष्य अपनी उन्नति और सुख-सुविधाओं को बढ़ाने के लिए दिन-ब-दिन प्रदूषण फैला रहा है।


विज्ञान के इस युग में जिस प्रकार मनुष्य को कुछ वरदान प्राप्त हुए हैं उसी प्रकार उसे कुछ दुष्प्रभाव भी भोगने पड़े हैं और लोग आज भी इन दुष्प्रभावों को झेलने को विवश हैं।


यदि पृथ्वी, जल, वायु, ध्वनि आदि में पाये जाने वाले तत्व असंतुलित हों तो उसे प्रदूषण कहते हैं। मानव निर्मित अपशिष्ट और अपशिष्ट पदार्थ जो प्रकृति में फेंके जाते हैं, 'प्रदूषक' कहलाते हैं। प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं। प्रदूषण के कुछ प्रमुख प्रकार जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण हैं।


भारत के प्रमुख महानगरों में वायु प्रदूषण व्याप्त है। चौबीसों घंटे चलने वाली फैक्ट्रियों, ट्रेनों, ऑटोमोबाइल्स आदि से निकलने वाला काला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ाने का काम करता है। दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में तो सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। वायु प्रदूषण में वृद्धि से श्वास संबंधी विकार बढ़ रहे हैं। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। कारों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।


वायु प्रदूषण के बाद जल प्रदूषण दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। फैक्ट्रियों का दूषित पानी नदी में छोड़ा जाता है, जिससे इस पानी को पीने से इंसानों और जानवरों को कई तरह की बीमारियां होती हैं। दूषित पानी पीने से कई बार मौत भी हो जाती है। इस कारण सरकार के साथ-साथ नागरिकों का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे अपने आसपास की नदी और जल क्षेत्र को स्वच्छ रखें।



जल प्रदूषण के बाद प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या ध्वनि प्रदूषण है। कारखानों, कारों, कारों, लाउडस्पीकरों आदि के शोर से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरेपन जैसी समस्या बढ़ रही है। लगातार तेज आवाजें सुनने से मानसिक तनाव बढ़ता है। इसलिए कारखानों और नागरिकों को ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली मशीनों का उपयोग करना चाहिए।



वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा हरियाली पैदा की जाए, सड़क के दोनों तरफ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। वृक्षारोपण, जीवित वृक्ष का संदेश फैलाना चाहिए। कारखानों को मानव बस्तियों से दूर रखना चाहिए। निजी वाहनों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। आदि उपाय करेंगे तो प्रदूषण जैसी समस्या को खत्म करने में काफी मदद मिलेगी।


प्रदूषण धीमी गति से काम करने वाला जहर है। यह हवा, पानी और धूल के जरिए इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों, पक्षियों, पौधों और पेड़ों को भी नष्ट कर देता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। यदि समय रहते प्रदूषण पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक समय ऐसा आएगा जब मनुष्य के पास खाने के लिए अच्छा भोजन नहीं होगा। पीने के लिए साफ पानी और सांस लेने के लिए हवा मिलना मुश्किल हो जाएगा। स्थिति से उम्मीद बचाने के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना चाहिए।


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Source: Internet

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