अगर परीक्षा नहीं होती
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर परीक्षा नहीं होती तो क्या होता? अगर परीक्षा नहीं होती, तो हमारे छात्रों को डरने की कोई बात नहीं होती। क्योंकि कोई भी विद्यार्थी केवल यह सोचकर पढ़ाई करता है कि वह परीक्षा पास करना चाहता है। न परीक्षा की तैयारी न पढ़ाई। यह छात्रों के लिए फायदेमंद होता। प्रत्येक छात्र हर साल इस सोच के साथ अध्ययन करता है कि वह परीक्षा को क्रैक करना चाहता है। कई छात्र बेहतर तैयारी के लिए स्कूल के साथ-साथ अन्य कोचिंग कक्षाओं में भी जाते हैं।
लेकिन अगर परीक्षा न होती तो कोई पढ़ता ही नहीं। जिसकी वजह से हमारा देश पिछड़ जाता। बच्चे दिन भर पढ़ाई छोड़कर खेलते रहते थे। जिससे उनका भविष्य अंधकार में चला जाता। इसलिए परीक्षाएं बहुत जरूरी हैं। परीक्षा के डर से छात्र देर रात और सुबह जल्दी पढ़ाई करते हैं। लेकिन अगर परीक्षा न होती तो कोई भी इस तरह से नहीं पढ़ता। छोटे बच्चों में आलस्य अधिक होता।
किसी भी देश का विकास देश की युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है। देश के बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। और अगर ये बच्चे परीक्षा से नहीं डरते तो ये अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते। परीक्षा के माध्यम से ही शिक्षकों और अभिभावकों को छात्रों की योग्यता का पता चलता है। माता-पिता अपने बच्चे की आगे की पढ़ाई परीक्षा के अंकों को ध्यान में रखकर करते हैं। लेकिन परीक्षा न होने के कारण छात्र की योग्यता पर ध्यान नहीं दिया गया होगा। जिससे विद्यार्थियों व अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा था कि आगे की पढ़ाई में क्या करें। परीक्षा का तनाव न होने के कारण बच्चों में जल्दी बुरी आदतें विकसित हो जाती थीं। इसलिए परीक्षा बहुत जरूरी है।
अक्सर देखा जाता है कि छात्र परीक्षा पास करने के लिए नकल और नकल करते हैं। कई स्कूल शिक्षक इस काम में छात्रों का सहयोग करते हैं। लेकिन ऐसा करना बेहद गलत है। क्योंकि अगर कोई छात्र किसी एक कक्षा में नकल करके पास भी हो जाता है तो वह आगे की पढ़ाई में ठीक से ध्यान नहीं दे पाएगा। परीक्षा में नकल करने वाले विद्यार्थी जीवन की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाते हैं। इसलिए परीक्षा देना और बिना चीटिंग के परीक्षा पास करना बहुत जरूरी है।
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Source: Internet
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