प्रकृति मेरी साथी

 प्रकृति मेरी साथी 

प्रकृति मेरी साथी

आज के युग में प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। कई प्रसिद्ध कवियों, लेखकों, चित्रकारों और कलाकारों ने प्रकृति के बारे में कई सुंदर रचनाएँ रची हैं। प्रकृति हमारे आस-पास की चीजों से बनी है जैसे पानी, हवा, जंगल, पहाड़, नदी, पेड़, जमीन, सूरज, चाँद, आकाश, समुद्र आदि। प्रकृति अंतहीन रंगों से भरी है जो सभी जीवित और निर्जीव प्राणियों को अपनी गोद में समेटे हुए है।


आज के आधुनिक युग में मनुष्य प्रकृति को हल्के में ले रहा है और उसका तुच्छीकरण कर रहा है। क्योंकि प्रकृति चारों ओर सहज ही उपलब्ध हो गई है। और जो आसानी से किसी को मिल जाए वो इंसान के लायक नहीं होता। लेकिन वास्तव में प्रकृति मनुष्य की बहुत घनिष्ठ मित्र है और वह मनुष्य के लिए सदैव उपयोगी है। प्रकृति उसी तरह हमारी सहचरी है जिस प्रकार एक सच्चा मित्र हर संकट में साथ देता है।


दरअसल प्रकृति हमारी मित्र है। क्योंकि प्रकृति ही वह शक्ति है जो हमें ब्रह्मांड में सब कुछ देती है। चाहे वह हमारा भोजन हो या जीवन। प्रकृति में वह शक्ति है जो शरीर के सभी रोगों को दूर कर देती है। हरे पेड़ देखने से मानसिक तनाव कम होता है। इसलिए अगर आप कभी तनाव महसूस करते हैं तो बगीचे में टहलने जाएं। गार्डन में प्रकृति की खूबसूरती देखकर मन को शांति मिलेगी। प्रकृति हमारे भोजन, वस्त्र और आवास की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से कर देती है।


प्रकृति ने हमें खूबसूरत हरियाली दी है। प्रकृति ने हमें जीवन दिया है। यह ऑक्सीजन हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है। बिना ऑक्सीजन के हम कुछ पल ही जीवित रह सकते हैं। मनुष्य को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा उसे भोजन से प्राप्त होती है और यह भोजन भी प्रकृति द्वारा ही प्रदान किया जाता है। प्रकृति ने हमें रहने के लिए जमीन दी है। इस धरती पर बना घर भी प्रकृति में उपलब्ध सामग्री से ही बना है।


प्रकृति न केवल मनुष्य की मित्र है बल्कि पशु-पक्षियों की भी घनिष्ठ मित्र है। क्योंकि वह पशु-पक्षियों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी भोजन, वस्त्र और आश्रय की व्यवस्था करता है। प्रकृति के संतुलन को बिगाड़े बिना हमें इसका सही उपयोग करना चाहिए। स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति का भरपूर आनंद लेना जरूरी है। हमें अपनी प्रकृति पर ध्यान देना चाहिए और उसे स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़े को इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में डालकर उसका उचित निस्तारण किया जाना चाहिए।


मनुष्य को कभी भी प्रकृति के मित्रों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। आज का मनुष्य सोचता है कि प्रकृति उसके अनुसार चले। लेकिन यह सोच मौलिक रूप से गलत है। हम इंसान प्रकृति के अनुसार जीने के लिए बने हैं। हमें इस प्रकृति को बदलने का कोई अधिकार नहीं है। आजकल लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति की मित्र क्षीण होती जा रही है। जल, वायु, जल और मृदा प्रदूषण के कारण प्रकृति नष्ट हो रही है। इसका दुष्परिणाम मनुष्य को भोगना पड़ता है।


प्रकृति के संरक्षण के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर में प्रकृति संरक्षण और प्रकृति के महत्व पर सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। इस दिन दुनिया भर के लोग प्रकृति के साथियों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। आज हमें भी संकल्प लेना चाहिए कि आइए हम सब मिलकर प्रकृति की रक्षा के लिए कार्य करें।

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Source: Internet

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